कहा तो माता तोर अनमन जनमन - पुराना जस गीत - Lyrics / सुखउ राम केंवट
कहा तो माता तोर अनमन जनमन कहा लिए अवतारे
हिंगुलाज तोर अनमन जनमन मनिकापूरी मा अवतारे
औ हिन्गुलाज एक चन्दन कर बिरछा जेकर पलंग बिछाए
अऊ पलंग छोड़ पालकी पर बैठे देश रतन पुर आये
अऊ मझवा गली मा मटकी छवा के
घर घर बरुआ वो बिहाये वो माता घर बरुआ हो
ए तोर तो भुवन मा वो अनलेखा ओ माता दियना जलत है हा
काहे कर दियना कहेन लागे बाती, काहे कर तेल जले वो सारी राती
सोन कर दियना कपूर लागे बाती, सुरहीन के घिव मा जले वो सारी राती
-- ए तोर तो भुवन मा वो अनलेखा ओ माता दियना जलत है हा --
ए कोने तो दिया जलाए भुवन मा कोन तोर वेद सुनावय
लंगुरे दिया जलाए भुवन मा ब्रम्हा वेद सुनावय
-- ए तोर तो भुवन मा वो अनलेखा ओ माता दियना जलत है हा --
ए माँघ महिना मा मेला भरावय आवथे सब नार नारी
ए नारियर लुगरा चुनरी धर के खड़े हे तोर दुवारी
-- ए छिनी तो अंगुरिया के वो दरस देजा माता, छिनी अंगुरिया के हो --
ए तोरे दरस बर सब कोई आवय कोन सहर कोन गवई
-- भारत देश मा ओ परसिध हस माता भारत देश मा हा --
गीत - कहा तो माता तोर अनमन जनमन - पुराना जस गीत - Lyrics
प्रकार - जस गीत
सिंगर - सुखउ राम केंवट
लेखक - -
म्यूजिक कंपनी - -
सन् 1970 का सुंदर जुन्ना जसगीत || Old Jasgeet || सुखउ राम केंवट || छत्तीसगढ़ी जसगीत || Cg Old
2024-10-04 02:08:18
2024-10-02 18:16:09
2024-08-26 05:58:09
2024-04-15 04:45:00
2023-10-20 15:24:53
2023-09-23 12:22:21