मुंदरी रे मुंदरी सगुन मुंदरी / अल्का चंद्राकर
मुंदरी रे मुंदरी सगुन मुंदरी डारे अंगरी मा गा
मोहनी रे मोहनी कसर मोहनी लागे भीतरी मा वो ||2||
डोहरी हे राजा रे मोंगरा के फुल छुबे झन बैरी नजर जाही झूल
डारे नजर काबर आंखी मा वो मारे मंतर काबर छाती मा वो ||2||
हरदी रे हरदी पियर हरदी रंग हरदी मा गा
मोहनी रे मोहनी कसर मोहनी लागे भीतरी मा वो ||2||
पुनवासी चंदा के बगरे अंजोर फुलकासी पीरिया के बांध ले डोर
लाली कई डिबिया सिंदूर चुटकी कारी कारी गोदना रे तिन बुंदकी ||2||
चकरी रे चकरी भवर चकरी बांधे चकरी मा वो
मुंदरी रे मुंदरी सगुन मुंदरी डारे अंगरी मा गा
मोहनी रे मोहनी कसर मोहनी लागे भीतरी मा वो ||2||
गीत - मुंदरी रे मुंदरी सगुन मुंदरी
प्रकार - लोक गीत
सिंगर - अल्का चंद्राकर
लेखक - डॉ. रामनारायण ध्रुव
म्यूजिक कंपनी - AMBA MUSIC CG
mundari re mundari sagun mundari dare angari ma ga
mohani re mohani kasar mohani lage bhitari ma vo ||2||
dohari he raja re mongara ke phul chhube jhan bairi najar jahi jhool
dare najar kabar ankhi ma vo mare mantar kabar chhati ma vo ||2||
haradi re haradi piyar haradi rang haradi ma ga
mohani re mohani kasar mohani lage bhitari ma vo ||2||
punavasi chanda ke bagare anjor phulakasi piriya ke bandh le dor
lali kai dibiya sindoor chutaki kari kari godana re tin bundaki ||2||
chakari re chakari bhavar chakari bandhe chakari ma vo
mundari re mundari sagun mundari dare angari ma ga
mohani re mohani kasar mohani lage bhitari ma vo ||2||
2024-10-02 16:59:27
2024-03-16 10:48:27