रंग घोरे रहों या / कांतिकार्तिक यादव
कागज कलम के मंगनी जचनी स्याही लगन धराही गा
तभे तो गीत के भावर परही गाठ पिरित के जोराही गा
रंग घोरे रहों या
रंग घोरे रहों या रंग घोरे रहों न
लबरा कन्हैया के आस मा ||2||
आही कहिके विशवास मा आही कहिके विशवास मा 2
रंग घोरे रहों या रंग घोरे रहों न
लबरा कन्हैया के आस मा
धन तिरिया के भाग बलम भुलियार ठगे
नगदी मा नन्दलाल उधो हा उधार ठगे
जबले गेहे तबले बुध बार बार ठगे
पानी पूरा के धर किरिया करार ठगे
मोटियारी मधुमास मा मोटियारी मधुमास मा 2
रंग घोरे रहों या रंग घोरे रहों न
लबरा कन्हैया के आस मा ||2||
रद्दा ला जोहे जिव जांगर जरत रहिगे
कुह्कू सेंदुर सोहाग मांग ला भरत रहिगे
पीरा बनके हीरा हिरदे ला हरत रहिगे
तुलसी के चौरा मा दियना बरत रहिगे
होरी खेले के पियास मा होरी खेले के पियास मा 2
रंग घोरे रहों या रंग घोरे रहों न
लबरा कन्हैया के आस मा ||2||
हरी अवतार ले ता अवतरे गुवालिन हा
दुई तन देखे मा जिव एक गुवालिन हा
बिरहा के आच मा जरे हे गुवालिन हा
पाना पतेवना सही परे हे गुवालिन हा
का उरौती करे रास मा का उरौती करे रास मा 2
रंग घोरे रहों या रंग घोरे रहों न
लबरा कन्हैया के आस मा ||2||
दगा मा डारे मोला आहू कहिके गिरधारी
कते बन मा लुकागे मन मोहिके गिरधारी
रीबी रीबी तन होईगे जोही जोहीके गिरधारी
का जिहू मर जाहू अतीक सही के गिरधारी
हाही हमाय मोर सास मा हाही हमाय मोर सास मा 2
रंग घोरे रहों या रंग घोरे रहों न
लबरा कन्हैया के आस मा ||2||
गहिरा अटेल्हा हा गौकी गुनेल भईगे
अनिल गलिन में रधिया ला सुनेल भईगे
रही रही के तोर सुरता मा हकरे हुनेल भईगे
बंसी के बस बपरी धुन ला दूनेल भईगे
जिव ला पारे भूलीं बास मा जिव ला पारे भूलीं बास मा 2
रंग घोरे रहों या रंग घोरे रहों न
लबरा कन्हैया के आस मा ||2||
खरहा गोसईया ला खार खार खोज डारेव
कुंजन मधुबन जमुना के पार खोज डारेव
कथे कन कन मा रथे तार तार खोज डारेव
का बहिरा सुधरे पर दुवार खोज डारेव
जियत मरत के बनवास मा जियत मरत के बनवास मा 2
रंग घोरे रहों या रंग घोरे रहों न
लबरा कन्हैया के आस मा ||2||
बरदी पीछू मोहनी मुड मा डारे बरदिहा
पाच मुठा माटी मया के मारे बरदिहा
कोन हराही तोला कब तै हारे बरदिहा
कांतिकार्तिक ला तै हा तारे बरदिहा
पाच पचास उनचास मा पाच पचास उनचास मा 2
रंग घोरे रहों या रंग घोरे रहों न
लबरा कन्हैया के आस मा ||2||
आही कहिके विशवास मा आही कहिके विशवास मा 2
रंग घोरे रहों या रंग घोरे रहों न
लबरा कन्हैया के आस मा ||4||
गीत - रंग घोरे रहों या
प्रकार - होली गीत
सिंगर - कांतिकार्तिक यादव
लेखक - Lt. Jamuna Prasad Mishra [ Mauni Baba ji ]
म्यूजिक कंपनी - KOK Creation
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